महापुरुष
(गीतिका में चयनित सर्वश्रेष्ठ काव्य!)
✍️ सत्यप्रकाश शर्मा "सत्य"
समय-समय पर महापुरुष, जो इस दुनिया में आये।
आ इस जग में बहुत उन्होंने, अद्भुत कृत्य दिखाये।।
अथक परिश्रम रात-दिवस कर, दिव्य ज्ञान फैलाया।
सोये थे गहरी निद्रा में, वे जन सभी जगाये।।
उनमें से ही एक महामन, थे श्री राम आचार्य,
कर गायत्री माँ आराधन, शक्तिपीठ बनवाये।
पावन भू थी आवल खेड़ा, जन्म वहाँ पर पाया,
शिक्षा-दीक्षा हुई वहाँ फिर, शहर आगरा धाये।
हुआ वहाँ से मथुरा आना, कीन्हीं वहाँ तपस्या,
परहित करते रहे सदा वे, भक्ति राह अपनाये।
तपस्थली को छोड़ आप तब, हरिद्वार में पहुँचे,
शांतिकुंज का कर प्रतिपादन, जन-मनअति हर्षाये।
भक्ति पुस्तकें लिखी बहुत, प्रज्ञा पुराण रच डाला,
देश- विदेशों में जा -जाकर, धर्म ग्रंथ समझाये।
कीर्तिमान कर जग सुप्रतिष्ठित, भारत मान बढ़ाया,
नमन विदेशी करें आज भी, अपना शीश झुकाये।
दंड प्रणाम करूँ में श्रीमन, पद पंकज सिर रखकर,
चरण शरण दे देना गुरुवर, कृपा दृष्टि बरसाये।
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✍️ सत्यप्रकाश शर्मा "सत्य"
पुरदिल नगर (हाथरस) यू० पी०
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