दो बच्चों सँग महिला ने किया आत्मदाह का प्रयास!
माँझी के कौशल सिंह ने दिया जीवनदान!
सारण (बिहार) संवाददाता मनोज सिंह: पारिवारिक प्रताड़ना से तंग आकर एक महिला ने पहले अपने घर में आग लगाकर दो वर्ष की मासूम बेटी तथा पाँच वर्ष के बेटे को लेकर आत्मदाह का प्रयास किया हालाँकि परिजनों के विरोध के कारण आत्मदाह करने में असफल रहने के बाद उसने माँझी के रामघाट के समीप बेटे बेटी संग उसने सरयु की तेज धारा में छलांग लगाकर आत्महत्या का प्रयास किया परन्तु यहाँ भी उसे सफलता नही मिली। नदी की तेज धारा में दो मासूम संग महिला को बहता देखकर बहोरन सिंह के टोला निवासी कौशल सिंह ने आनन फानन में नदी में कूदकर डूब रही महिला व बच्चों नदी से बाहर निकालकर उनकी जान बचा ली। इस लोमहर्षक घटना को अंजाम देने वाली कलियुगी महिला दाउदपुर थाना क्षेत्र के अरियांव गांव की रहने वाली बताई जाती हैं। फिलहाल तीनों का इलाज माँझी सीएचसी में चल रहा है। महिला के पुत्र ओम कुमार की हालत अब भी गम्भीर गंभीर बनी हुई है।
घरेलू कलह एवं प्रताड़ना के कारण महिला ने लिया गलत फैसला!
सरयु में छलांग लगाने वाली महिला बिन्दु देवी ने बताया कि वर्ष 2006 में उसकी शादी दाउदपुर थाना क्षेत्र के आरियांव गाँव निवासी संजीत सिंह से हुई है। बाद में महिला ने दो बच्चों को जन्म दिया जिसमें ओम कुमार 5 वर्ष तथा बेटी शिवानी डेढ़ वर्ष की है। उसने बताया कि पति मुम्बई में रहकर मजदूरी करता है और इधर घर में सास ससुर तथा ननद द्वारा उसके साथ अक्सर मार पीट की जाती है। यही नही उसका पति भी जब छुट्टियों में घर आता है तब मां-बाप के इशारे पर वह भी उसकी पिटाई करता हैं। बार बार जाने के कारण मायके वाले भी उसका सम्मान नही करते। उसने बताया कि मायके वालों ने भी उसको अपने पास रखने से इनकार कर चुके हैं। प्रताड़ना तथा घरेलू कलह से ऊब कर ही उसने अपने बच्चों के साथ इह लीला समाप्त कर लेने का असहज फैसला कर लिया था पर यह शायद ईश्वर को मंजुर नही था इसलिए वह दोनों बार बच निकली। बीती रात्रि ग्यारह बजे के आसपास घर से निकलने के पहले उसने घर को आग के हवाले करके घर से भाग गई तब से उसके पड़ोस के लोग उसे ढूंढ रहे थे। परिजनों को सोशल मीडिया के माध्यम से इस घटना की सूचना मिली। बातचीत के क्रम में महिला के आंखों से अनवरत आंसू बह रहे थे। उसने बताया कि किसी भी मां को अपना बच्चा सबसे प्यारा होता है। लेकिन उसने खुद को लाचार बेसहारा एवम असहाय समझ कर ही अपने बच्चों के साथ अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेना चाहती थी। क्योंकि उसके मायके में मां-बाप के नहीं होने के कारण उसे मायके से भी कोई सहयोग नहीं मिलता है।