व्यक्तित्व एक परिचय में हुए साक्षात्कार के लिए पधारे अतिथि आचार्य डाॅ. शंभुशिवानंद अवधूत जी होस्ट किशोर जैन के साथ!
गुरुकुल जैसे विद्यालय की नीव को मजबूती दे रहे हमारे आज के मेहमान, उनके जबाब और होस्ट किशोर जी के प्रश्नों पर आधारित बातचीत।
रिपोर्ट: सुनीता सिंह सरोवर
"लव इज द फाउंडेशन ऑफ एजुकेशन" "काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह और इस नश्वर संसार से परे चल पड़ा है मसीहा फिर से नव निर्माण को!"
दिव्ययालय एक साहित्यिक पटल पर प्रति बुधवार दिव्यालय एक व्यक्तित्व परिचय "चंद बातें कुछ यादें नई पुरानी" इस श्रृंखला के अतंर्गत हुए साक्षात्कार में उपस्थित मेहमान आनन्द मार्ग के कर्मठ गृह त्यागी संन्यासी आचार्य डाॅ. शंभुशिवानंद अवधूत जी, समाज को एक नई दिशा देना चाहते हैं। एक नये आयाम को गढ़ने के लिए सांसारिक सुखों का त्याग कर संन्यासी जीवन अपना कर मानव के उद्धार के लिए सराहनीय पहल कर रहे हैं।
संचालक किशोर जैन जी के एक-एक प्रश्नों का जबाब देते हुए आप ने बताया की आप का जन्म शिमला के एक संभ्रांत परिवार में हुआ। आपके पिता श्री एक क्रिमिनल वकील थे। माता जी धर्मभीरु महिला थीं और चौदह वर्ष की आयु से ही आप आनन्द मार्ग के संस्थापक भगवान श्री श्री आनन्द जी से प्रभावित होकर आप ने उनसे दिक्षा ली और खुद को जन सेवा के लिए समर्पित कर दिया।
आपने देश विदेश में कई गुरुकुल खोले, जहाँ बच्चों को सुसंस्कारित शिक्षा दी जा रही है। विद्यालय के साथ- साथ सात सौ से भी ज्यादा महाविद्यालय, युनिवर्सिटी भी बहुत ही सफलता के साथ चल रहें हैं, जहाँ योग के द्वारा मेडिटेशन, 40 से भी अधिक भाषाओं में प्रभात संगीत, आर्ट, डांस और कला सिखाई जाती है। आज के इस आधुनिकता के दौर में जहाँ मिशन स्कूलों ने अपना सिक्का जमा रखा है वही, आज भी शंभु शिवानंद अवधूत जैसे संन्यासी गुरुकुल जैसे विद्यालय की नींव को मजबूती प्रदान कर रहे हैं।
एक संन्यासी का मिशन है, एक स्वस्थ और सुखी संसार का निर्माण करना। हर एक प्राणी के लिए सम्यक् दृष्टि रखना। भौतिक सुखों से दूर कम संसाधनों में जीवन यापन करना और निर्विकार जीवन जीना। एक संन्यासी के लिए सांसारिक सुख बेमायने हैं। सच इस कलयुग के दौर में आचार्य जी जैसे लोग ही धरा को बचाने का बेड़ा उठाए आगे बढ़ रहे हैं।
समाज को नई दिशा देने के लिए आपने आनन्द मार्ग के उन सभी सूक्ष्म ज्ञान जिसमें नव्य मानवतावाद, प्रउत, मा।इक्रोवाइटम की सूक्ष्म जानकारी को दिया, उससे सभी श्रोता मंत्रमुग्ध थे।
आचार्य डाॅं शंभुशिवानंद अवधूत जी ने कई आर्टिकल्स के साथ- साथ आनन्द मार्ग दर्शन के अनुसार चार किताबें भी लिखीं हैं जैसे -:
PROUT- Neohumanist Economics: Mystic verses
Towards a brighter Future
Thoughts for a new era
आचार्य जी बतातें हैं कि इन किताबों को पढ़कर आप इन तत्वो से परिचित हो जाएगे, जो बहुत ही ज्ञान वर्धक हैं और समाज को नई दिशा देने वाली हैं। आपने अपने आखिरी संदेश में आनंद मार्ग आध्यात्मिक साधना को अपनाने की सलाह दी। राजाधिराज योग साधना सीख कर एक नये समाज के निर्माण को प्रेरित करने के लिए जागरूक किया।
अंत में बेहतरीन संचालन कर रहे यू.के. से किशोर जैन जी ने अपने इस साक्षात्कार के भाव प्रकट करते हुए अपने अतिथि आचार्य डाॅ.शंभुशिवानन्दअवधूत जी को धन्यवाद दिया, इस नेक व सराहनीय कार्य के लिए। अंत में दिव्यालय की संस्थापक व कार्यक्रम आयोजक व्यंजना आनंद 'मिथ्या' ने होस्ट किशोर जैन जी के जन्म दिन के अवसर पर उन्हें शुभ जन्म दिवस के लिए बहुत ही सात्विक गीत गाया -
शुभजन्मदिनं तुभ्यम्।
शुभजन्मदिने तव हे।
सकलं मधुरं भूयात्।
सकलं सफलं भूयात्।
सकलं च शुभम् भूयात्।
उपाध्यक्ष व कार्यक्रम संयोजक मंजरी निधि 'गुल'जी ने भी सुंदर साक्षात्कार व किशोर जैन जी के जन्म दिन की बधाई देते हुए पूरे दिव्यालय की ओर से दुआएं प्रेषित की। अंत में होस्ट किशोर जैन ने आवश्यक सूचना की घोषणा करते हुए कहा कि दिव्यालय निरंतर जहाँ ऊचाइयों को छू रहा है, वहीं नयी नयी सुविधाओं के साथ भी साधकों की सुविधाओं और भलाई के लिए कुछ न कुछ योजनाएं बनाता रहता है। वहीं सभी छंद साधकों को सूचित किया गया कि 15 दिसम्बर से दिव्यालय का नया सत्र शुरू होने जा रहा है। अतः इच्छुक साधक दिव्यालय एक साहित्यिक पटल से जुड़कर इस पाठशाला का लाभ उठा सकते है। यहां छंद ज्ञान के साथ अध्यात्मिक, मानसिक व उन्नति की शिक्षा दी जाती है। यहाँ जात पात से परे होकर सभी साधकों को एक नयी दिशा दी जाती है।