सत्संग, भजन, कीर्तन, कथा, शिव महापुराण, प्रवचन ही बैकुंठ का स्वरूप है।: अनुराग कृष्ण शास्त्री
सारण (बिहार) : माँझी के घोरहट मझवलिया स्थित नव निर्मित शिव मंदिर परिसर में चल रहे रुद्र महायज्ञ में शुक्रवार को वृंदावन से पधारे कथा व्यास अनुराग कृष्ण शास्त्री के मुखरविंद से शिव महापुराण कथा का पाठ का शुभारंभ किया गया, जहाँ इस कथा में काफी संख्या में लोगों की भीड़ मौजूद रही। कथा के शुभारंभ करते हुए श्री शास्त्री ने कहा कि सत्संग, भजन, कीर्तन, कथा, शिव महापुराण, प्रवचन ही बैकुंठ का स्वरूप है। जब हम प्रवचन ध्यान और जब तप में रहते हैं। वही हमारा सबसे बढ़िया समय रहता है। शिव महापुराण की कथा बैकुंठ पहुंचने का सबसे सरल माध्यम है। हमसे किसी ने भी बैकुंठ तो नहीं देखा है। प्रत्येक मनुष्य को चाहिए कि वह संसार की इच्छा नहीं रखें। उसे परमात्मा के प्रति प्रेम और चाहत रखें। जो ऐसा करता है उसे संसार के पीछे भागना नहीं पड़ता है। बल्कि संसार उसके पीछे-पीछे चला आता है। ऐसा व्यक्ति परमधाम की यात्रा आसानी से पूरी कर लेता है। उन्होंने कहा कि कथा का श्रवण करने से हमारे पूर्वजों की पीढ़ी को मोक्ष प्राप्त होता है। अन्य कथाए तो आपकी 7 पीढ़ी को मोक्ष प्रदान करती है। लेकिन बाबा भोलेनाथ की यह कथा आपके समस्त संकटों से छुटकारा दिलाता है।